36 Maoists:छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा सीमा पर मुठभेड़ में 36 माओवादी मारे गए

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By - Er.Nikesh Kumar
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छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा सीमा पर मुठभेड़ में 36 माओवादी मारे गए

जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कल माओवादी विरोधी अभियान शुरू किया था और आज दोपहर 12.30 बजे संपर्क हुआ, सूत्रों ने बताया कि मुठभेड़ जारी है



नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमा के जंगलों में सुरक्षा बलों ने की बड़ी कार्रवाई, 36 माओवादी ढेर

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर आज सुरक्षा बलों ने एक बड़े अभियान के तहत 36 माओवादियों को मार गिराया है। यह हाल के समय में सुरक्षा बलों की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, यह मुठभेड़ अभी भी जारी है। यह अभियान जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) द्वारा चलाया जा रहा है, जिसमें उन्हें माओवादियों के बड़े ठिकानों का पता चला था।

ऑपरेशन की शुरुआत

जानकारी के अनुसार, इस ऑपरेशन की शुरुआत कल से ही हो गई थी, जब सुरक्षा बलों को खुफिया रिपोर्ट के जरिए जानकारी मिली थी कि इलाके में भारी संख्या में माओवादी एकत्र हो रहे हैं। DRG और STF की संयुक्त टीम ने कल से ही गवेल, नेन्दूर और थुलथुली गांवों के आसपास के जंगलों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया था। यह गांव ओरचा और बारसूर पुलिस थानों के अंतर्गत आते हैं।

कल शाम से ही सुरक्षा बलों ने इस क्षेत्र में माओवादियों की गतिविधियों को देखते हुए अपनी रणनीति बनाई और गांव-गांव जाकर जांच शुरू की। यह अभियान बेहद गुप्त तरीके से चलाया गया ताकि माओवादी सुरक्षा बलों की उपस्थिति का आभास न कर सकें।

मुठभेड़ की शुरुआत

आज दोपहर 12:30 बजे के आसपास सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच पहली मुठभेड़ शुरू हुई। यह मुठभेड़ नेन्दूर और थुलथुली गांवों के पास के घने जंगलों में हुई। माओवादियों ने अचानक सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभालते हुए जवाबी कार्रवाई की।

सूत्रों ने बताया कि यह मुठभेड़ काफी समय तक चली और सुरक्षा बलों ने पूरी सावधानी से माओवादियों को घेरकर उनकी हरकतों पर नजर रखी। माओवादियों ने अपनी उपस्थिति छिपाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों की तैयारी के सामने उनकी योजना नाकाम रही।

माओवादियों के भारी नुकसान की खबर

मुठभेड़ में अब तक 36 माओवादियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से कई आधुनिक हथियार बरामद किए हैं, जिनमें एके-47 राइफल्स और अन्य अत्याधुनिक हथियार शामिल हैं। यह इस बात का संकेत है कि माओवादी बड़ी संख्या में हथियारों के साथ तैयार थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने अपनी रणनीति के जरिए उन्हें पीछे धकेल दिया।

सूत्रों के मुताबिक, माओवादियों का यह समूह पिछले कुछ समय से इस इलाके में सक्रिय था और उन्होंने कई बार स्थानीय लोगों को डराने-धमकाने की कोशिश की थी। खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने यह ऑपरेशन प्लान किया था, जिससे माओवादी बड़ी संख्या में मारे गए हैं।

अभियान में शामिल बलों की प्रशंसा

सुरक्षा बलों की इस बड़ी सफलता के बाद राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी उनके प्रयासों की सराहना की है। DRG और STF के जवानों ने जिस साहस और सूझबूझ से इस मुठभेड़ को अंजाम दिया, उसकी प्रशंसा हर तरफ हो रही है। विशेष रूप से DRG, जो स्थानीय आदिवासी युवाओं से बनी एक विशेष इकाई है, ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई है।

सूत्रों के अनुसार, इस अभियान में सुरक्षा बलों को किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। यह मुठभेड़ इतनी सटीकता से चलाई गई कि माओवादियों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। सुरक्षा बलों ने चारों ओर से घेराबंदी कर माओवादियों को आगे बढ़ने से रोका और धीरे-धीरे उन्हें जंगल के अंदर धकेल दिया।

ऑपरेशन का अगला चरण

मुठभेड़ के बाद भी सुरक्षा बलों ने जंगल में तलाशी अभियान जारी रखा है। कुछ माओवादी अब भी जंगल के अंदर छिपे हुए हैं और सुरक्षा बल उनका पीछा कर रहे हैं। इन माओवादियों ने गहरे जंगलों में जाकर छिपने की कोशिश की है, लेकिन सुरक्षा बल अब भी उनकी हर हरकत पर नजर रखे हुए हैं।

इस अभियान के तहत सुरक्षा बल अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं ताकि माओवादियों को भागने का मौका न मिल सके। यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है, जहां छिपना और मूवमेंट करना काफी आसान होता है, लेकिन सुरक्षा बलों ने अपनी योजना इस तरह बनाई है कि माओवादियों के पास भागने का कोई रास्ता न बचे।

हथियारों का जखीरा बरामद

मुठभेड़ स्थल से बरामद हुए हथियारों ने यह संकेत दिया है कि माओवादी इस मुठभेड़ के लिए पूरी तरह से तैयार थे। सुरक्षा बलों ने मौके से कई एके सीरीज की राइफल्स और अन्य हथियार बरामद किए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि माओवादी बड़े पैमाने पर हमले की योजना बना रहे थे। इस तरह की भारी मात्रा में हथियार बरामद होना यह साबित करता है कि माओवादी संगठन अब भी अपनी ताकत को बनाए रखने के प्रयास में जुटे हुए हैं।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका

इस पूरे ऑपरेशन में स्थानीय प्रशासन का भी बड़ा सहयोग रहा। ऑपरेशन से पहले ही स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों ने माओवादी गतिविधियों की जानकारी जुटाकर सुरक्षा बलों के साथ साझा की थी। इसके अलावा, स्थानीय निवासियों से मिली जानकारी के आधार पर भी ऑपरेशन की योजना बनाई गई थी, जिससे माओवादियों के ठिकानों तक पहुंच पाना संभव हो सका।

यह क्षेत्र लंबे समय से माओवादी हिंसा से प्रभावित रहा है, और स्थानीय लोगों ने कई बार माओवादी आतंक का सामना किया है। लेकिन इस ऑपरेशन के बाद से लोगों में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है। लोगों को उम्मीद है कि इस तरह के और भी ऑपरेशन चलाए जाएंगे, जिससे माओवादी गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाया जा सकेगा।

माओवादी संगठन पर असर

इस मुठभेड़ के बाद माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है। पिछले कुछ महीनों से माओवादियों ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा बलों की इस कार्रवाई ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। माओवादियों के कई बड़े नेता इस मुठभेड़ में मारे गए हैं, जिनकी पहचान की जा रही है। यह माना जा रहा है कि इस मुठभेड़ के बाद माओवादी संगठन की गतिविधियों में भारी गिरावट आ सकती है।

सुरक्षा बलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि माओवादियों के खिलाफ यह अभियान यहीं नहीं रुकेगा। वे आगे भी इसी प्रकार की कार्रवाई करते रहेंगे, जिससे माओवादी संगठन की ताकत को पूरी तरह खत्म किया जा सके। इस अभियान की सफलता ने सुरक्षा बलों का मनोबल और बढ़ा दिया है, और वे अब और भी मजबूत रणनीति के साथ माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और दंतेवाड़ा के जंगलों में सुरक्षा बलों की इस बड़ी सफलता ने न सिर्फ माओवादी संगठन को कमजोर किया है, बल्कि इस क्षेत्र के लोगों में भी सुरक्षा की भावना को बढ़ावा दिया है। माओवादियों के खिलाफ इस अभियान ने यह साबित कर दिया है कि सुरक्षा बल किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और देश की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं।

आने वाले दिनों में इस ऑपरेशन के और भी नतीजे सामने आ सकते हैं, क्योंकि सुरक्षा बल अब भी जंगल में तलाशी अभियान जारी रखे हुए हैं। माओवादी हिंसा से जूझ रहे इस क्षेत्र में यह ऑपरेशन एक नई उम्मीद लेकर आया है, जिससे स्थानीय लोग राहत की सांस ले रहे हैं।

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