पीएम नरेंद्र मोदी का पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में बयान
परिचय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वियतनाम में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में उन्होंने वैश्विक दक्षिण पर चल रहे संघर्षों के नकारात्मक प्रभावों, क्षेत्रीय सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सम्मान पर जोर दिया। इस लेख में हम उनके भाषण के प्रमुख बिंदुओं और इसके पीछे के विचारों का विश्लेषण करेंगे।
वैश्विक दक्षिण पर संघर्षों का प्रभाव
पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्ष वैश्विक दक्षिण के देशों पर गंभीर असर डाल रहे हैं। उन्होंने कहा, "सब चाहते हैं कि चाहे यह युरेशिया हो या पश्चिम एशिया, शांति और स्थिरता जल्द से जल्द बहाल हो।" मोदी ने बुद्ध की भूमि से आते हुए यह कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है और समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं आ सकता।
संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संप्रभुता के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "हमें मानवता के दृष्टिकोण को प्राथमिकता देनी होगी, और संवाद और कूटनीति पर जोर देना होगा।" यह उनके विचारों का मुख्य स्तंभ था, जिसमें उन्होंने मानवता और शांति को प्राथमिकता दी।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा
प्रधानमंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक नियम आधारित व्यवस्था की आवश्यकता को उजागर किया। उन्होंने कहा, "मुक्त, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।" उन्होंने यह भी बताया कि दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए फायदेमंद है।
आधुनिक चुनौतियाँ: आतंकवाद और तकनीकी सहयोग
आतंकवाद को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती मानते हुए, मोदी ने कहा कि मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को एक साथ आना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश सचिव से मुलाकात
शिखर सम्मेलन के दौरान, पीएम मोदी ने अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की। इस बैठक के दौरान, उन्होंने अमेरिका में हाल ही में आए हरिकेन मिल्टन से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनाएँ प्रकट की।
लाओस यात्रा का महत्व
पीएम मोदी का यह दौरा लाओस के लिए भी महत्वपूर्ण था, जहां उन्होंने 21वें ASEAN-India Summit में भाग लिया। इस यात्रा के माध्यम से भारत और लाओस के बीच संबंधों को और मजबूत करने की संभावना बढ़ी है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का यह भाषण वैश्विक सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को स्पष्ट करता है। उनका यह संदेश केवल भारत ही नहीं, बल्कि सभी देशों के लिए है कि हमें मिलकर काम करना होगा ताकि हम एक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की दिशा में आगे बढ़ सकें।
इस प्रकार, पीएम मोदी का पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में दिया गया भाषण केवल एक राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि एक महत्वपूर्ण संवाद का हिस्सा था, जो वैश्विक सहयोग, शांति, और स्थिरता की आवश्यकता को दर्शाता है।
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