भारत-आसियान मित्रता: वैश्विक संघर्षों के बीच एक महत्वपूर्ण पहल

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By - Er.Nikesh Kumar
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 भारत-आसियान मित्रता: वैश्विक संघर्षों के बीच एक महत्वपूर्ण पहल


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भारत और आसियान देशों के बीच बढ़ती मित्रता को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है, और वर्तमान वैश्विक संघर्षों और तनावों के बीच इस मित्रता का और भी अधिक महत्व है। 

आसियान देशों के साथ संबंध

प्रधान मंत्री मोदी ने आसियान देशों को भारत के पड़ोसी और वैश्विक दक्षिण के साझेदार के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा, "हम शांति प्रिय राष्ट्र हैं और एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। हम क्षेत्र के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।" 

आसियान-भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा करते हुए, मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ ने इन संबंधों को नई ऊर्जा और दिशा दी है। इस पॉलिसी के अंतर्गत भारत ने आसियान देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं।

आर्थिक संबंधों में वृद्धि

प्रधान मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार पिछले दशक में दोगुना होकर 130 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि आर्थिक संबंध कैसे दोनों क्षेत्रों के विकास में सहायक हो सकते हैं। 

10-बिंदु कार्य योजना की घोषणा

शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए एक 10-बिंदु कार्य योजना की घोषणा की। इसमें कई महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं:

1. पर्यटन के लिए साल 2025 का उत्सव: भारत ने आसियान-भारत वर्ष 2025 को ‘पर्यटन वर्ष’ के रूप में मनाने की योजना बनाई है। इसके लिए भारत 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा।

2. युवाओं के लिए गतिविधियां: मोदी ने कहा कि ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के एक दशक को मनाने के लिए कई लोगों-केंद्रित गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जैसे युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्टअप महोत्सव, हैकाथॉन और संगीत महोत्सव।

3. महिला वैज्ञानिक सम्मेलन: आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष के अंतर्गत महिला वैज्ञानिकों के सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

4. शिक्षा में सहयोग: नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्तियों की संख्या को दोगुना करने और आसियान छात्रों के लिए भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में नई छात्रवृत्तियों की व्यवस्था की घोषणा की।

5. आपदा प्रबंधन: भारत ने आपदा की तैयारी में मदद के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने की बात की।

6. स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल: स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत स्वास्थ्य लचीलापन के निर्माण के लिए एक नई ट्रैक की शुरुआत की जाएगी।

7. डिजिटल और साइबर सुरक्षा: आसियान-भारत साइबर नीति संवाद की एक नियमित व्यवस्था का गठन किया जाएगा, जिससे डिजिटल और साइबर लचीलापन को मजबूत किया जा सके।

8. हरी हाइड्रोजन पर कार्यशाला: एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जो हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देगी।

9. जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता: मोदी ने ‘मां के लिए एक पेड़ लगाओ’ अभियान में आसियान नेताओं को शामिल होने का निमंत्रण दिया, जिससे जलवायु लचीलापन बढ़ाया जा सके।

10. व्यापार समझौते की समीक्षा: आसियान-भारत व्यापार सामान समझौते की समीक्षा 2025 तक की जाएगी।

अंतर्दृष्टि और भविष्य की दिशा

प्रधान मंत्री मोदी का यह स्पष्ट संदेश है कि भारत और आसियान देशों के बीच संबंध केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामरिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरे हैं। यह दोस्ती न केवल दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह क्षेत्र की स्थिरता और विकास में भी योगदान देगी।

भारत-आसियान संबंधों की इस नई दिशा में शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों पक्षों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करेगा। 

निष्कर्ष

इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी की ओर से घोषित 10-बिंदु कार्य योजना और उनके द्वारा किए गए अन्य घोषणाएं इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि भारत आसियान देशों के साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह मित्रता, जो शांति और समृद्धि पर आधारित है, आने वाले समय में और भी मजबूत होगी। 

इस प्रकार, भारत और आसियान देशों की मित्रता न केवल वर्तमान में महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में भी यह एक निर्णायक भूमिका निभाएगी, खासकर जब हम वैश्विक संघर्षों और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

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